देहरादून उत्तराखंड, जिसे “देवभूमि” के नाम से जाना जाता है, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर के लिए मशहूर है। इस राज्य की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई थी, और तब से यहाँ कई नेताओं ने मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है। उत्तराखंड अपना रजत जयंती वर्ष मना रहा है राज्य में अपने जन्म के बाद से लेकर अभी तक 25 साल पूरे किये जाने का सफर देखा है जिसमे राज्य की सरकारों का लेखा जोखा यहाँ के मतदाता बखूबी समझते है बीजेपी सरकार ने मुख्यमंत्री कई ऐसे लोगो को बनाया जो अपना कार्यकाल राज्य में पूरा नहीं कर सके या उनका सिमित समय मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहा जिसमे सबसे पहला नाम नित्यांनंद स्वामी का आता है फिर उनकी जगह भगत सिंह कोश्यारी मुख्यमंत्री बने
पहले विधानसभा चुनाव 2002में उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में बनी जो पांच साल तक राज्य में विकास से लेकर बड़े उद्योग लगा कर लाखो परिवारों को रोज़गार का साधन उपलब्ध करवा पाई इसके बाद कांग्रेस का कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया
वर्ष 2007 में भुवन चंद खंडूरी को उत्तराखंड का नया मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन ये भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके उनके कड़क फैसले अधिकारी वर्ग के लिए कड़क साबित हुए जिसके बाद रमेश पोखरियाल निशक को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन अपना कार्यकाल ये भी पूरा नहीं कर पाए उनको हटा कर फिर से भुवन चंद खंडूरी को दोबारा मुखयमंत्री बनाया गया लेकिन विधानसभा चुनाव 2012 में खंडूरी है जरुरी नारे की हवा ठीक वैसे ही निकल दी जैसी हवा हरदा है मतलब हरीश रावत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भरी पड़ी
विजय बहुगुणा 2012 में मुख्यमंत्री बनाये गए जो 31 जनवरी 2014 तक रहे इसके बाद उनको हटा कर हरीश रावत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन हरीश रावत सरकार ने कई तरह के उतार चढ़ाव देखे आपदा से तबाह हुए केदारनाथ धाम में फिर से यात्रा को पटरी पर लाने में वक्त लगा लेकिन उत्तराखंड रोजगार विहीन होने से कई वर्षो तक अपने पैरो पर खड़ा नहीं हो पाया उत्तराखंड में 2017 के लिए विधानसभा चुनावो में कांग्रेस सरकार को सत्ता से हटा दिया जो आज तक सत्ता से दूर है
2017 में हुए विधानसभा चुनावो में बीजेपी सरकार सत्ता में आई त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री के रूप में अपनी पारी को शुरू किया लेकिन वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके उनको भी निशंक की तरफ हटाया गया उसके बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन कुछ महीने बाद भी उनको हटा कर युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बना कर सत्ता में वापिसी का मसौदा तैयार किया गया लेकिन धामी खटीमा से साजिश रूप में मुख्यमंत्री रूप में वैसे ही हराये गए जैसे हरीश रावत को हराया गया था धामी हार जाने के बाद भी बीजेपी हाई कमान ने दूसरी बार पुष्कर सिंह धामी को 2022 में मुख्यमंत्री बनाया गया तब से लेकर अभी तक धामी कांग्रेस के तिवारी सरकार से अधिक समय तक अपना कार्यकाल चला रहे है रजत जयंती वर्ष में उत्तराखंड अपने 25 सालो का विकास यात्रा का उल्लेख कर रहा है ऐसे में युवा मुख्यमंत्री का उल्लेख भी किया जाना जरुरी है कांग्रेस सरकार के समय सबसे बड़ी युवा मोर्चा रैली से विधानससभा कूच ने तिवारी सरकार को असहज कर दिया था आज तक इतनी बड़ी युवा कूच कोई भी राजनैतिक दल धामी को छोड़ कर नहीं कर पाया है
रजत जयंती उत्सव उत्तराखंड 25 साल साथ रहा अवसर है अब आगे अपना कार्य आपको नए संकल्प से कार्य करना है उत्तराखंड बहुत आगे जाना चाहिए ऐसी आशा है नए विचार नयी सोच नया संकल्प बहुत कुछ करीब से देखने का अवसर मिला ये उत्तराखंड देवो की भूमि से लेकर साजिश रचनाकारों की कई कहानियो का केंद्र रहा है आज अगर देखा जाएं तो उत्तराखंड को एक नयी दिशा का अग्रदूत बन रहा है राज्य में हो रहे हर काम यहाँ के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कर रहे है ऐसे में उनकी चर्चा सनातन सस्कृति से लेकर हर वर्ग का विकास किये जाने वाली जानी कही जा सकती है हर वयक्ति को साथ रखने का कोई हुनर अगर धामी जी के पास है समय के अनुकूल वो हर कदम को पहचान लेते है






