वाराणसी में धर्मगुरुओं ने टीबी मुक्त भारत अभियान में सहयोग की अपील की

लखनऊ, 02 मई- 2023 –  टीबी एक पुरानी और गंभीर बीमारी है । इससे शीघ्र और पूरी तरह स्वस्थ होने के लिए समुचित इलाज के साथ सही देखभाल और सहयोग की बड़ी जरूरत है । इसको समुदाय के सभी वर्गों की तरह धर्म गुरुओं ने भी भलीभांति समझा है और स्वास्थ्य विभाग व टीबी मरीजों की मदद को आगे आये हैं । धर्म गुरुओं की यह पहल सही मायने में रंग लाएगी क्योंकि उनकी बात को ध्यान से सुनने और मानने वालों की तादाद बड़ी है। टीबी के खिलाफ राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत भी जांच एवं उपचार सेवाओं को मजबूत करने के अलावा प्रमुख हितधारकों और समुदाय को शामिल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इससे टीबी से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने, टीबी से जुड़ी सेवाओं की मांग को बढ़ाने, अलग-अलग समुदायों की जरूरतों को समझने और सबसे अधिक वंचित लोगों तक पहुंचने के साथ ही छिपे हुए मरीजों को खोजने में भी मदद मिलेगी।

नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स के वाइस चेयरमैन डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का भी कहना है- टीबी केवल डॉक्टर व मरीज़ के बीच का मुद्दा नहीं है, बल्कि इसका सम्बन्ध परिवार, समुदाय व समाज से भी है , इसलिए टीबी को ख़त्म करने के लिए हरस्तर से नेतृत्व ज़रूरी है । बरेली के अलखनाथ मंदिर के पास स्थित तुलसी मठ के महंत नीरज नयन दास टीबी मरीजों को पोषक आहार प्रदान करने के साथ, नियमित दवा सेवन के लिए प्रेरित करने की बड़ी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। यह प्रेरणा उनको उस वक्त मिली जब वर्ष 2010 में उन्हें पता चला कि बदायूं के दातागंज के एक सैनिक के मुंह से खून आ रहा है और मदद की जरूरत है। जिला अस्पताल में जांच कराई तो पता चला टीबी है। सैनिक को अपने घर पर रखकर नौ महीने तक सेवा की, जिससे वह पूरी तरह स्वस्थ हो गया। इसके बाद तो मानो महंत को टीबी मरीजों का साथ निभाने की एक नई राह मिल गयी और हर सोमवार को टीबी मरीजों को भोजन मुहैया कराना शुरू किया। अब तक वह कई टीबी मरीजों को गोद ले चुके हैं। वर्तमान में भी वह टीबी मरीजों को पोषक आहार मुहैया करा रहे हैं। मरीजों का हौसला भी बढ़ा रहे हैं। फरीदपुर के भोलागाँव की टीबी ग्रसित युवती का कहना है कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। टीबी की दवाएं असर नहीं कर रहीं थीं, डाक्टर ने बताया दवाओं के साथ पौष्टिक आहार लेना बहुत जरूरी है। जानकारी होने पर महंत ने हर महीने पौष्टिक आहार मुहैया कराया, जिससे सेहत में जल्दी सुधार हुआ।

झाँसी के धर्मगुरू लोकेन्द्र नाथ तिवारी टीबी से जुड़ी भ्रांतियों और भेदभाव को दूर करने में लगे हैं। एक समय था जब वह खुद टीबी से ग्रसित थे, लेकिन विश्वास कायम रखते हुए टीबी का पूरा इलाज किया । खुद टीबी मुक्त होकर अब जनपद को टीबी मुक्त बनाने में जुटे हैं । वर्ष 2022 से अब तक चार लोगों की टीबी की जांच कराने के साथ ही पूरा इलाज कराने में मदद पहुंचा रहे हैं । मऊरानीपुर ब्लॉक के राकेश (बदला हुआ नाम) का कहना है- दो हफ्ते से अधिक समय से खांसी आ रही थी, काम में भी मन नहीं लगता था । समाज में भेदभाव के डर से टीबी की जांच नहीं कराई, लेकिन धर्मगुरु के समझाने पर जांच के लिए हिम्मत जुटा पाये और जाँच में टीबी की पुष्टि हुई। इलाज कराते हुए तीन माह से अधिक समय हो गया है, स्थिति में काफी सुधार है।

इसी प्रकार वाराणसी में सभी धर्म प्रमुखों ने वीडियो सन्देश जारी कर टीबी मुक्त भारत बनाने में सहयोग की अपील की है । श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के वरिष्ठ अर्चक आचार्य टेक नारायण उपाध्याय, मुफ़्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी, फादर मजू मैथ्यू और नीचीबाग़ स्थित गुरुद्वारा के ग्रंथी धरमवीर सिंह का कहना है कि टीबी का लक्षण दिखने पर तुरंत जांच कराएँ और टीबी की पुष्टि होती है तो पूरा इलाज जरूर कराएँ और देश को टीबी मुक्त बनाएं ।

“भेदभाव रोगियों को मानसिक तौर पर तो प्रभावित करता ही है, साथ ही परिवार, परिचितों और दोस्तों को सामाजिक, वित्तीय और शारीरिक तौर पर भी प्रभावित करता है। नेशनल स्ट्रेटेजिक प्लान फॉर ट्यूबरक्लोसिस (2017-2025) एलिमिनेशन बाय 2025 में स्पष्ट तौर पर जिक्र है- भेदभाव और भ्रांतियों को हटाना ज़रूरी है ।इसके लिए एडवोकेसी, संचार और सोशल मोबिलिज़ेशन का इस्तेमाल करने का सुझाव भी दिया गया है जैसे मीडिया द्वारा भाषा का प्रयोग, विज्ञापन आदि द्वारा सन्देश भी शामिल हैं ।इसमें टीबी से ठीक हुए लोगों और चैंपियन का योगदान अहम है क्योंकि ऐसे लोग अपने अनुभव से लोगों को प्रभावित कर सकते हैं I इसी वजह से टीबी पर आज लोग खुलकर बात करने को तैयार हैं।”

-डॉ. राजेन्द्र प्रसाद,
वाइस चेयरमैन, नेशनल टीबी टास्क फ़ोर्स

,

About The lifeline Today

View all posts by The lifeline Today →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *