कट्टर ईमानदारV/S लाल भुजक्कड़

आज एक राज्य के मुख्यमंत्री ने जनता की गादी कमाई,से प्राप्त टैक्स से विधानसभा का सेशन बुलाया और एक देश के प्रधान सेवक पर व्यंगातमक अपनी कहानी सुनाकर कुछ अपनो से खूब तालिया बजवाई,सोशल मिडिया के माध्यम से पूरे देश ने इस चिरायता का रस पान किया।मै भी उनमें एक हूं।इसी बीच बचपन मे मैने लाल भुजक्कड़ की कहानी पढ़ी थी,और यह कहानी जब बच्चे कहानी सुनाने की जिद्द करते तो मैं सुनाता और वो सो जाते।कहानी इस उस समय की है,जब पढ़ाई कुछ ही लोग कर पाते थे।ऐसे में गांव से एक लड़का कुछ दिन शहर हो आया और दो चार शब्द अंग्रेजी के भी सीख लिए फिर तो क्या था लाल बुज्क्कड़ जी की बल्ले बल्ले,गांव में कोई भी समस्या हो,लेकर पहुंच जाते,लाल भुजक्कड़ के पास।इसी बीच एक दिन रात्रि को गांव से ऊंटो का टोला निकला,सुबह जमीन पर निशान थे ऐसा पहले किसी ने नही देखा था,सो सभी,आश्चर्य से मिस्टर लाल, भू के पास पहुंचे।ऐसे निशान उसने भी नही देखें थे,किंतु हार क्यों मानता,सो कहा”लाल भुजक्कड़ बूझते और ना बुझे कोय, हिरण चाकी बांध के कूदा होगा होय,यानी यह कोई हिरण ने चक्की का पाट बांधकर कूदा है,सुनकर गांव वाले ने ताली बजाई।

इसके कुछ दिन बाद,पास के गांव में कुछ लोग मेला देखने गए,वहां एक पुराना तेली का कोल्हू और लाठ पड़ा था,गांव वालो में पहले किसी ने नही देखा था,तभी गांववालो ने भुजक्कड़ को बुलाया,उसने भी पहले नही देखा था;पर हार कैसे मानता।बोला “लाल भुजक्कड़ बोलते और न बोले कोय,होना हो ,यह अल्ला की सुरमा दानी होए”यह बात सबको पसंद आई और ऐसी ही ताली बजी।इसके कुछ दिन बाद ही एक छोटी बच्ची,छप्पर के नीचे बल्ली , जिस पर छप्पर रखा था,पीछे से कोहली भरी खड़ी,भोले गांव वाले डर गए कि अब तो हाथ काटकर निकालना पड़ेगा।तभी एक गांववाला दोडकर लाल भुजक्कड़ को बुलाया,उसने कहा”लाल भुज्जक्द बोलते और ना बोले कोय अरे छान (छत)उठाईकर थाई लो,होनी हो सो होय” यह कहानी आज भी चरितार्थ है।

About The lifeline Today

View all posts by The lifeline Today →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *