केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने “पतंजलि गुरुकुलम् एवं आचार्यकुलम्” की आधारशिला रखी

देहरादून  – केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह हरिद्वार में पतंजलि गुरूकुलम् एवं आचार्यकुलम् शिलान्यास’ समारोह में पहुंचे। उन्होंने पतंजलि गुरुकुलम् की आधारशिला रखी। इसके बाद उन्होंने संबोधन में कहा कि हमारे देश में जो सिख धर्म है, वह शिष्य शब्द से ही निर्मित है। भारत में कई सारे ऐसे धर्म और संप्रदाय हैं, जो गुरुवाणी के आधार पर ही कायम है। यदि भारतीय संस्कृति जीवित है और यह सनातन बनी हुई है, तो इसकी जीवंतता को बनाए रखने में इस देश के गुरुओं का सबसे बड़ा योगदान है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन के लिए देश के गुरुकुल आगे आए। उन्होंने कहा कि संस्कृत वैज्ञानिक भाषा है। दुनिया के कई विद्वानों ने प्रकृति और सृष्टि को समझने के लिए संस्कृत का ही अध्ययन किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत का अहम स्थान है। योग दर्शन भी महर्षि पतंजलि ने संस्कृत में ही लिखा था। उन्होंने संस्कृत पढ़ने लिखने और बोलने वालों की कम होती संख्या को लेकर चिंता जताई।कहा कि देवभाषा की यह स्थिति देखकर मन में पीड़ा होती है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि योग गुरु बाबा रामदेव वेद और योग को सरलता से जनमानस तक पहुंचा रहे हैं इसके लिए वह बधाई के पात्र हैं। गुरु शिष्य परंपरा पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि गुरुओं के नाम पर ही सनातन की पहचान है। सभी धर्म में मतभेद हो सकता है लेकिन गुरु को सभी ने स्वीकार किया है।

रक्षामंत्री ने कहा कि गुरुकुल परंपरा ने भारत का पूरे विश्व में स्थान दिलाया है। उन्होंने संस्कृत के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम करने की भी बात कही। जिससे आने वाली पीढ़ी संस्कृति के महत्व को समझ सके इसमें देश के गुरुकुल महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। नई शिक्षा नीति पर बोलते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कई राज्यों ने नई शिक्षा नीति के तहत अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। कहा कि इसमें अचानक परिवर्तन संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति ने देश को राजनीतिक और मानसिक रूप से गुलाम बनाया। स्वामी दर्शनानंद ने गुरुकुल की स्थापना कर इस दिशा में प्रकाश फैलाया जो आज भी युवाओं को प्रकाशित कर रहा है।कार्यक्रम में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भगवान राम फिर से अयोध्या में विराजमान हो रहे हैं। आज चाहे काशी विश्वनाथ के भव्य कॉरिडोर का निर्माण हो या बद्रीनाथ का मास्टर प्लान और केदारनाथ का पुनर्निर्माण हो। हर जगह काम हो रहा है।

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