उत्तराखंड की सियासत गरमाई, कांग्रेस के कदम से राजनीतिक गलियारों में हलचल

कांग्रेस बनाम धामी सरकार: कार्यमंत्रणा समिति से यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह का इस्तीफ बनेगा मुद्दा?

गीता मिश्रा

देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा का मानसून सत्र भले ही केवल दो दिन भी न चला हो, लेकिन इसके भीतर का टकराव लंबे समय तक गूंज सकता है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और वरिष्ठ कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने कार्यमंत्रणा समिति से इस्तीफा देकर धामी सरकार पर लोकतांत्रिक परंपराओं को तोड़ने का आरोप लगाया। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने बिना समिति की बैठक बुलाए सत्र को अचानक समाप्त कर दिया, जिससे जनता के मुद्दे दब गए।

कांग्रेस का आरोप

यशपाल आर्य ने कहा कि सरकार केवल संख्या बल के आधार पर सदन चला रही है और विपक्ष को दरकिनार कर रही है। उन्होंने इसे लोकतंत्र का मजाक करार दिया। वहीं प्रीतम सिंह ने कहा कि कांग्रेस धराली आपदा, पंचायत चुनावों की गड़बड़ियां, कानून-व्यवस्था और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर चर्चा करना चाहती थी, लेकिन सरकार ने भागने का रास्ता चुना। कांग्रेस का आरोप है कि दो दिन के सत्र में महज ढाई घंटे की कार्यवाही कराकर अनुपूरक बजट और नौ विधेयक पारित कर दिए गए, जो जनता के साथ धोखा है।

धामी सरकार का पक्ष

दूसरी ओर धामी सरकार का कहना है कि सत्र पूरी तरह नियमों के तहत चलाया गया। संसदीय कार्य मंत्री का तर्क है कि सभी जरूरी विधेयक और अनुपूरक बजट पारित कराना सरकार की प्राथमिकता थी और यह कार्यवाही संविधान एवं नियमावली के अनुरूप हुई। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि कांग्रेस केवल मुद्दों को भटकाने और सत्र को बाधित करने का काम कर रही है।

सरकार के अनुसार, आपदा और अन्य विषयों पर चर्चा की गुंजाइश थी, लेकिन विपक्ष ने खुद ही हंगामे का रास्ता अपनाया और सहयोग नहीं दिया। यही कारण है कि सरकार ने विधायी कार्य पूरा कर सत्र समाप्त करने का निर्णय लिया।

राजनीतिक असर

राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं का यह इस्तीफा आने वाले दिनों में विपक्ष और धामी सरकार के बीच टकराव को और गहरा करेगा। कांग्रेस इसे जनता की आवाज दबाने का मुद्दा बनाकर सड़क से सदन तक आक्रामक होगी, वहीं सरकार विपक्ष को गैर-जिम्मेदार ठहराकर अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश करेगी।

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