करवा चौथ : पति की दीर्घायु और सुहाग की रक्षा का पर्व
बाजारों में सजने लगी पूजन सामग्री, चढ़ने लगा मेहंदी और सिंगार का रंग
देहरादून। सुहागिनों के सबसे पवित्र व्रतों में शामिल करवा चौथ इस बार 10 अक्टूबर (शुक्रवार) को मनाया जाएगा। पति की लंबी उम्र और अखंड सौभाग्य की कामना से रखा जाने वाला यह व्रत हर वर्ष कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं दिन भर निर्जला उपवास रखकर शाम को चंद्रोदय के बाद अपने पति के हाथों से जल ग्रहण कर व्रत खोलती हैं।
देहरादून में इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट से 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा, जबकि चंद्र दर्शन का समय लगभग रात 8 बजे के आसपास रहेगा। व्रत रखने वाली महिलाएं सूर्योदय से पहले ‘सरगी’ ग्रहण कर दिनभर पूजा की तैयारी करती हैं।
श्रद्धा, प्रेम और आस्था का संगम
करवा चौथ व्रत केवल धार्मिक रीति नहीं बल्कि वैवाहिक संबंधों की गहराई और निष्ठा का प्रतीक भी है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन देवी पार्वती ने भगवान शिव से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति की थी। इसी तरह वीरवती कथा और सावित्री-सत्यवान की गाथाएँ इस व्रत के महत्व को और गहराई देती हैं।
महिलाएं इस दिन सुंदर परिधान पहनकर, सोलह श्रृंगार कर चांद को छलनी से देखकर पति का मुख देखती हैं और उनके दीर्घायु की कामना करती हैं। माना जाता है कि यह व्रत दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और सौभाग्य को स्थायी बनाता है।
पूजा-विधि और सामग्री
व्रत का आरंभ सूर्योदय के बाद स्नान-ध्यान कर संकल्प लेने से होता है। शाम के समय महिलाएं एकत्र होकर करवा चौथ की कथा सुनती हैं। पूजा के लिए मिट्टी का करवा (कलश), दीपक, रोली, चावल, कुमकुम, मिठाई, फूल, फलों, छलनी, और कथा ग्रंथ की आवश्यकता होती है।
चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी से पहले चंद्रमा, फिर अपने पति को देखती हैं। पति के हाथों से जल ग्रहण करने के बाद व्रत समाप्त होता है। इस व्रत के बाद दान देना और प्रसाद बांटना शुभ माना गया है।
बाजारों में रौनक — मेहंदी, साड़ी और गहनों की खरीदारी
त्योहार से पहले ही शहर के बाजारों में रौनक लौट आई है। राजपुर रोड, पलटन बाजार, पटेल नगर और बनियावाला की दुकानों में पूजा सामग्री, साड़ियाँ, बिंदी, चूड़ियाँ, सिंदूर और श्रृंगार की वस्तुएँ सज चुकी हैं।
मेहंदी आर्टिस्ट्स की बुकिंग शुरू हो गई है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी ‘करवा चौथ स्पेशल किट’ और गिफ्ट हैंपर की बिक्री तेज हो गई है।
व्रत के पीछे विज्ञान और संवेदना
आचार्य एवं ज्योतिषाचार्य पंडित प्रदीप शर्मा के अनुसार, करवा चौथ केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से भी एक साधना है। दिनभर उपवास रखने से शरीर में धैर्य, संयम और एकाग्रता बढ़ती है।
यह पर्व एक प्रकार का भावनात्मक उत्सव है, जो भारतीय संस्कृति में पति-पत्नी के परस्पर विश्वास को मजबूत करता है।







