पाकिस्तानी गोलाबारी में बुरी तरह छतिग्रस्त हुए सुखविंदर सिंह का चेहरा उनके परिजनों को नहीं दिखाया गया। सोचिये जिस मां ने बेटे को जन्म देकर देश की सेवा के लिए बेटे को ख़ुशी-ख़ुशी सेना में भेज दिया हो और शहीद होने के बाद उसे उसका चेहरा भी देखने को ना मिले उस मां के शरीर पर क्या गुजर रही होगी।
जम्मू-कश्मीर के राजौरी सेक्टर में सीमा पर पाकिस्तान की गोलाबारी में शहीद फतेहपुर निवासी सुखविंदर सिंह का शव उनके गांव पहुंचा तो घर में कोहराम मच गया। यह पीड़ा तब और भी अधिक महसूस होने लगी जब किसी को शहीद सुखविंदर का चेहरा नहीं दिखाया गया।
21 साल के सुखविंदर की मां रानी देवी को अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तानी गोलाबारी में उनके बेटे का चेहरा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, इसलिए दिखा नहीं सकते। रोती बिलखती मां ने बेटे को सलूट कर अंतिम विधाई दी।
सुखविंदर की मां को उसकी सहादत के बारे में बुधवार सुबह को ही बताया गया, दिन में करीब दो बजे शव गांव पहुंचा और उसके तुरंत बाद गाँव के श्मशान घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
सेना की और से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहीद की अंतिम यात्रा में युवाओं ने नारे लगाकर उन्हें अंतिम विदाई दी। शहीद की बड़े भाई गुरपाल सिंह ने उनकी चिता को मुखाग्निदी। सुखविंदर सिंह 2017 में सेना में भर्ती हुआ था। अपने रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के बाद 22 नवंबर को ही सुखविंदर 15 दिन की छुट्टी काटकर ड्यूटी पर लौटा था। लेकिन उसके बाद उसके शहीद होने की खबर से पूरे परिवार में मातम पसरा है।