उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री बने पुष्कर सिंह धामी, जानें उनके राजनीतिक सफर की खास बातें

देहरादून : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के लिए पुष्कर सिंह धामी के नाम का ऐलान हो गया है। पुष्कर सिंह धामी उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री होंगे। प्रदेश मुख्यालय में हुई भाजपा विधायक दल की बैठक में धामी को नया नेता चुना गया। ऊधमसिंहनगर जिले की खटीमा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे पुष्कर लगातार दूसरी बार से विधायक हैं। इसके अलावा पुष्कर सिंह धामी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। वह उत्तराखंड में अब तक के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बनेंगे। वह राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में अपना पद संभालेंगे।
बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नरेंद्र सिंह तोमर सुबह करीब 10 बजकर 40 मिनट पर देहरादून पहुंचे। पार्टी प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम भी उनके साथ पहुंचे।
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नरेंद्र तोमर ने बैठक से पहले तीरथ सिंह रावत से मुलाकात की। भाजपा प्रदेश कार्यालय में विधायक, मंत्रियों के पहुंचने का सिलसिला दोपहर दो बजे से शुरू हो गया था। प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक 2.30 बजे पहुंचे।
बैठक के लिए मंत्री रेखा आर्य, हरक सिंह रावत, यशपाल आर्य, अरविंद पांडेय, बिशन सिंह चुफाल सहित सभी लोग पहुंचे। विधायक पुष्कर सिंह धामी और यतीश्वरांनद भी पहुंचे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी बैठक के लिए पहुंचे।

जीवन परिचय :
पुष्कर सिंह धामी
जन्म तिथि : 16.09.1975
विधान सभा का नाम : 70, विधान सभा क्षेत्र, खटीमा
माता का नाम : विश्ना देवी
पत्नी का नाम : गीता धामी
शैक्षिक योग्यता : स्नातकोत्तर, व्यावसायिक – मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक में मास्टर
राजनितिक दल का नाम : भारतीय जनता पार्टी

पुष्कर सिंह धामी का जन्म जनपद पिथौरागढ़ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील डीडी हाट में जन्म हुआ। वह एक साधारण परिवार से आते हैं। उनकी शिक्षा सरकारी स्कूल में हुई है। सैनिक पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति को ही धर्म के रूप में अपनाया। आर्थिक आभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। तीन बहनों के पश्चात अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारियाॅ हमेशा बनी रही।
इनकी माता विश्ना देवी एक धर्मपरायण, मृदुभाषी एवं अपने परिवार के प्रति समर्पित घरेलू महिला थीं। धामी को बचपन से ही स्काउट गाइड, एनसीसी, एनएसएस आदि शाखाओं में प्रतिभाग एवं समाजिक कार्यो को करने की भावना रही। लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को एक जुट करके निरन्तर संधर्षशाील रहते हुए उनके शैक्षिणक हितों की लडाई लडते हुए उनके अधिकार दिलाये गये तथा शिक्षा व्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।

राजनीतिक सफर
सन् 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया है। कुशल नेतृत्व क्षमता, संधर्षशीलता एवं अदम्य सहास के कारण वह दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिा निभाई।
उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त पूर्व मुख्यमंत्री जी के साथ एक अनुभवी सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया। 2002 से 2008 तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित कर उन्होंने कई विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये।
परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को राज्य के उद्योगों में 70 प्रतिशत आरक्षण दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में उन्हाेंने दिनांक 11 जनवरी 2005 को प्रदेश के 90 युवाओं के साथ विधानसभा का घेराव करने के लिए ऐतिहासिक रैली आयोजित की गई। जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है।
भाजपा सरकार में 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहते हुए उन्होंने क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान किया। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जीत दर्ज की। वर्तमान में वह खटीमा विधानसभा सीट से विधायक हैं।

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