पी सी आई, नई दिल्ली कार्यालय द्वारा लेवी वसूली को लेकर कुछ प्रकाशकों को पत्रकारों के इस तंगीहाल एवं कोरेना काल में लेवी वसूली को लेकर बड़ी कार्यवाहीं की है,यही नहीं वसूली हेतु दिल्ली प्रशासन को पत्र भी लिखा है इसका श्री अशोक नवरत्न,सदस्य ने अध्यक्ष को पत्र लिखकर विरोध जताया है जिसका समर्थन अध्यक्ष,ऑल इंडिया स्मॉल न्यूजपेपर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष, उत्तराखंड के श्री दीन दयाल मित्तल ने भी किया है साथ ही यह भी अवगत कराया कि पूर्व में भी पी सी आई द्वारा हजारों में उन प्रकाशकों को नोटिस भेजे थे जिनका कोई बकाया नहीं था एवं इस आशय के प्रकाशकों द्वारा स्पष्टीकरण प्रेषित किए थे किंतु कृत कार्यवाही से आज तक अवगत नहीं कराया गया। यह पत्रकारों के प्रति उदासीनता का भाव परिलिक्षित करता है।
ऑल इंडिया स्मॉल एंड मीडियम न्यूज़पेपर्स फेडरेशन के माध्यम से ज्ञात हुआ है कि पीसीआई द्वारा अनेकों समाचार पत्रों को विगत वर्षों की बकाया लेवी फीस की वसूली हेतु नोटिस भेजे गए है। इसके साथ ही दिल्ली के किसी मजिस्ट्रेट के पास वसूली के लिए पत्र भेजे गए है । आप अवगत ही है कि विगत वर्षों में पीसीआई समाचार पत्रों के प्रकाशकों को न्याय दिलाने में विफल रही है। डीएवीपी की प्रिंट मीडिया नीति 2016 की वजह से हजारों समाचार पत्रों की विज्ञापन मान्यताओं को निरस्त किया गया। जीएसटी अखबारों पर लागू करके प्रिंट मीडिया को तबाह कर दिया गया। भारतीय प्रेस परिषद का गठन पत्रकारों और अखबारों की समस्याओं के समाधान कराने और उनका किसी भी स्तर पर कोई भी उत्पीड़न न कर सकें, इसके लिए किया गया था। परिषद विगत वर्षों में पत्रकारों और समाचार पत्रों के प्रकाशकों का किसी भी स्तर पर उत्पीड़न नहीं रुकवा पाई है। फिर क्यों प्रकाशकों से बकाया लेवी फीस की जबरन वसूली कराई जा रही है ? वर्तमान परिस्थिति में समाचार पत्रों की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो चुकी है। कोरोना महामारी में इस प्रकार से लेवी फीस की विगत वर्षों की वसूली किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। मैं समाचार पत्रों के हित में आपसे मांग करता हूं कि इस विषय को परिषद के समक्ष रखा जाए । जब तक इस विषय पर परिषद में कोई निर्णय हो तब तक के लिए वसूली को स्थगित किया जाना चाहिए ।