विरोध vs विरोधी

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नये संसद भवन (सेंट्रल विस्टा ) की छत पर राष्ट्रीय प्रतिक अशोक स्तम्भ की विशालकाय प्रतिमा, कांस्य से निर्मित, 20 फ़ीट ऊँची, इंडिया गेट से थोड़ी नीची प्रतिमा का अनावरण किया, इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष के साथ प्रोजेक्ट से सम्बंधित मंत्री की उपस्थिति भी थे एवं अनावरण को लेकर विरोधी राजनितिक पार्टियों ने अपने अपने तरीके से विरोध किया, कोई कह रहा है शेर को दहाड़ते दिखाया गया, कोइ बड़े दांत हैं, सभी विरोधी पार्टियों ने अपने अपने तरीकों से विरोध किया, इसको लेकर प्रतिपक्ष रोकने के लिए, सर्वोच्य न्ययालय भी गया था और सर्वोच्च्य अदालत ने सही ठहराहा किन्तु विरोधियों को “येन केन प्रकारेण ” जिसके केंद्र में मोदी हों विरोध करना है। सभी पार्टी प्रवक्ताओं का टी वी डिबेट का भी मुख्य विषय रहा, इस दिन की डिबेट में और ले देकर आखिर में वही मोदी विरोध। प्रितिपक्ष की लोकतंत्र में विशेष भूमिका होती है ,अगर यह कहा जाय की सशक्त विरोध ही लोकतंत्र की बुनियाद है तो अति शयोक्ति नहीं होगी किंतु जब विरोध में विरोध आ जाए तो यह समझ लीजिये कि लोक तंत्र धरातल में जा रहा है।

नरेंद्र मोदी देश के 14 वे प्रधान मंत्री है ,इनसे पूर्व के प्रधान मंत्रियो ने भी देश हित में कार्य किये ,जब से मोदी प्रधान मंत्री आए ,देश की जनता ने भरपूर प्यार दिया ,मोदी भी अथक परिश्रम कर रहे है ,देश जानता है कि शायद बिना छुट्टी लिए ,पांच घंटे से अधिक न सोते हुए बड़े बड़े काम किये ,चाहे इसमें काश्मीर से
धारा 370,35 ए हटाना हो,तीन तलाक कानून का हो,सी ए ए हो ,सर्जिकल स्ट्राइक ,एयर स्ट्राइक या सुदृढ़ विदेश नीति जिसमे भारत रूस से साथ अडिग होना हो या रुस से क्रूड आयल खरीदने का मुद्दा हो ,आसाम एवं पड़ोसी राज्य का सीमा विवाद हो भारत चट्टान की तरह खड़ा रहा।

कोविड काल में जब देश में टेस्ट किट,फेस मास्क ,टीका की व्यवस्था ना होने के बावजूद देश को दशा और दिखाते हुए इस देश ने टीका का आविष्कार किया और सभी सर्जिकल इक्विपमेंट ,ऑक्सीजन की व्यवस्था की और यही नहीं ,दूसरे देशों की भी मदद की। इन सबसे ऊपर कोवीड काल मे करीब 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन भी उपलब्ध कराया। इस सब का देश की जनता को अहसास है और झोली भर भर कर मोदी को जिताया।

अगर इसका विश्लेषण किया जाय तो श्रेय मुख्य विपक्षी पार्टियों को जाता हैं, आज विपक्ष के पास मुख्य मुद्दे ,महंगाई ,बेरोजगारी ,रुपिये की गिरती दर ,पेट्रोलियम पदार्थो पर दिन प्रति दिन बढ़ती दर ,शिक्षा आदि है। इन मुद्दों को लेकर विरोधी सरकार को घेर सकते हैं किन्तु विपक्ष का मुख्य विरोध मोदी है ,और मोदी का विरोध करते करते वे रसातल में पहुंच गए किन्तु अभी भी अहसास नहीं। मुख्य विपक्ष का सुबह सुबह मोदी विरोध में से चालू होता है और रात होते होते मोदी के साथ समाप्त हों जाती जोकि देश कि जनता बहुत निकट से देखती है ,यहाँ यह कहना उचित होगा कि “सोये हुए को जगाया जा सकता है, जागते हुए को नहीं “. पार्टी एक परिवार की पार्टी बन कर रह गयी और कर्मठ बुद्धिजीवी पार्टी छोड़कर जा रहे है और मोदी के साथ अच्छे कार्यकर्त्ता के रूप के कार्य कर रहे हैं। इनका विरोध मात्र मोदी विरोध बन कर रह रहा हैं जिसका ना कोई ओर हैं ना छोर। विरोध में अंधे होकर जहाँ जहाँ राज्यों में विरोधी सरकारे हैं, विरोध के वसीभूत होकर स्टेट फेड्रलिज़्म की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और राज्यों को स्वतंत्र देश की तरह चलाने की राह पर हैं इसमे केरल,पश्चिम बंगाल ,राजस्थान मुख्य हैं। देश के सर्वोच्य न्ययालय ने भी अनेकों बार सख्त टिप्पणी की किन्तु मोदी विरोध इनको कहाँ ले जायेगा यह भी नहीं जानते, शायद सही आयना जनता ही दिखाए।

-दीन दयाल मित्तल

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