आईआईटी रुड़की ने ऑनलाइन मोड के माध्यम से मनाया अपना स्थापना दिवस

रुड़की : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की ने गुरुवार को ऑनलाइन मोड के माध्यम से अपना स्थापना दिवस मनाया। इस अवसर पर एनआईआईटी के चेयरमैन आरएस पवार ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत किया। वहीं, आईआईटी रुड़की के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी ने समारोह की अध्यक्षता की। समारोह में छात्रों, फैकल्टी मेंबर्स के साथ-साथ दुनिया भर से आईआईटी रुड़की के एलुमनी ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। कार्यक्रम की शुरुआत आईआईटी रुड़की के कुलगीत यानि संस्थान गीत और आईआईटी रुड़की के डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड एलुमनी अफेयर्स (DORA) प्रो बीआर गुर्जर के स्वागत संबोधन के साथ हुई। वर्ष 2020 के लिए, तीन एलुमनी को प्रतिष्ठित यंग एलुमनस अवार्ड से सम्मानित किया गया है, जबकि सात एलुमनी को प्रतिष्ठित एलुमनस अवार्ड से नवाजा गया।
आईआईटी रुड़की के इतिहास में 25 नवंबर के महत्व को दर्शाते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के. चतुर्वेदी ने कहा, “वर्ष 1847 में आज ही के दिन रुड़की में ‘सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज’ के प्रोस्पेक्टस को पश्चिमोत्तर प्रांत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थॉमसन के अनुमोदन से अधिसूचित किया गया था। यही वह दिन था जिस दिन हम वर्ष 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय बने। उन्होंने नए और मिड-करियर फैकल्टी के लिए फैलोशिप, छात्रों के लिए कई पुरस्कारों और छात्रवृत्तियों सहित विभिन्न तरीकों से संस्थान को वापस लौटने के संदर्भ में कई एलुमनी द्वारा दिए जा रहे योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान के साथ एलुमनी की सक्रियता आईआईटी रुड़की में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में मदद कर रही है। सम्मानित होने वाले एलुमनी को बधाई देने के साथ-साथ उन्होंने बड़ी संख्या में मौजूद एलुमनी को भी धन्यवाद दिया, जो एलुमनी-इंस्टीट्यूशन संबंधों को मजबूती प्रदान कर आईआईटी रुड़की को उत्कृष्ट शिक्षण संस्थान बनाने और अपनी जिम्मेदारी के साथ-साथ समृद्ध विरासत को संभाले रखने में लगातार सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि, अब आईआईटी रुड़की अपने समकक्ष संस्थानों के साथ कई मापदंडों पर प्रतिस्पर्धा कर रहा है, जिसमें जेईई एडवांस परीक्षा में शीर्ष 500 रैंक वाले छात्रों की अच्छी संख्या प्राप्त करना शामिल है।”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और एनआईआईटी के चेयरमैन पद्म भूषण आरएस पवार ने कहा, “मैं आईआईटी रुड़की के 173वें स्थापना दिवस पर पूरे आईआईटीआर परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और सम्मानित हुए प्रतिष्ठित एलुमनी को बधाई देता हूं। यह सदी बौद्धिक क्षमताओं की सदी है और आईआईटी रुड़की के फैकल्टी, छात्र और एलुमनी इसमें योगदान देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।”
उन्होंने कई दिलचस्प वाकयों के माध्यम से साझा किया कि कैसे हमारी सांस्कृतिक विरासत द्वारा संचालित मूल्यों के साथ-साथ गुणवत्ता और उत्कृष्टता की खोज हमारे जीवन में बदलाव ला सकती है।
आईआईटी रुड़की के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के चेयरमैन बीवीआर मोहन रेड्डी ने कहा, “आज आईआईटी रुड़की के स्थापना दिवस समारोह का हिस्सा बनकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। हम सभी को संस्थान की शानदार विरासत के 173 वर्षों पर गर्व है। हम इसका श्रेय अपने छात्रों, शिक्षकों, प्रशासकों और नीति निर्माताओं के अद्भुत योगदान को देते हैं। हमारे शिक्षक और शोधकर्ता अपने कार्यों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता और शिक्षाविदों के प्रति समर्पित रहे हैं। ये प्रतिभाशाली और प्रेरक शिक्षक व शोधकर्ता हमारे छात्रों को रचनात्मक और नए दौर के अनुरूप करियर बनाने के लिए प्रेरित करते हैं और राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। अकादमिक प्रशासक और नीति निर्धारक संस्थान के सुचारू संचालन के लिए एक मजबूत बुनियादी ढांचा, प्रक्रिया और शासन बनाने में मदद करते हैं। इस अवसर पर, हम उन्हें याद करते हुए अपना आभार व्यक्त करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “नई तकनीक और नया लर्निंग मॉडल रोमांचक हैं और अकल्पनीय संभावनाओं तक छात्रों की पहुंच सुनिश्चित कर रहा है। हालांकि, इसके लिए निरंतर आईटी सपोर्ट और शिक्षा के लिए संस्थान के दृष्टिकोण में एक बदलाव की आवश्यकता होती है। फैकल्टी के साथ एक परिवर्तनशील मानसिकता की आवश्यकता है। महामारी ने हमें डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए तैयार किया और यही स्थिति अब महामारी के बाद भी रहने वाली है। दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ, समय की मांग यही है कि हम पूर्वाग्रहमुक्तता और सहयोगी दृष्टिकोण के साथ इस परिवर्तन को स्वीकार करें। मैं आईआईटी रुड़की के उज्ज्वल भविष्य और अनगिनत सफलता की कामना करता हूं।”
आईआईटी रुड़की के डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड एलुमनी अफेयर्स (DORA) प्रो बीआर गुर्जर ने कहा, “स्थापना दिवस संस्थान की यात्रा को याद करने और विभिन्न क्षेत्रों में एलुमनी के अनुकरणीय योगदान को सम्मानित करने का एक उपयुक्त अवसर है। मैं पुरस्कार विजेताओं को बधाई देता हूं और मुझे उम्मीद है कि वे आगे भी नए कीर्तिमान स्थापित करते रहेंगे।”

पुरस्कार पाने वालों की सूची इस प्रकार है:
प्रतिष्ठित यंग एलुमनस अवार्ड
– आरती गिल (2008-बीटेक-इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग)
– राहुल शर्मा (2012-बीटेक-इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)
– सचिन गुप्ता (2012-बीटेक-कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग)
प्रतिष्ठित एलुमनस अवार्ड
– प्रो.एससी हांडा (1966-एमई-सिविल इंजीनियरिंग)
– राजा राम सिंह यादव (1975-बीई-मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
– नवीन जैन (1979-बीई-इंडस्ट्रियल इंजीनियरिंग)
– प्रकाश कुमार सिंह (1979-बीई-मैटलर्जिकल इंजीनियरिंग)
– प्रो. अजय के. अग्रवाल (1980-बीई-मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
– प्रो. पंकज अग्रवाल (1982-बीई-इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग)
– आर. मुकुंदन (1988-बीई-इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग)

इस अवसर पर पुरस्कार विजेताओं ने अपने जीवन में आईआईटी रुड़की की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और कैंपस के दिनों से लेकर कार्यक्षेत्रे में अपनी सफलता के सफर तक पर बात की।
कार्यक्रम का समापन आईआईटी रुड़की के उप-निदेशक प्रो. मनोरंजन परिदा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।
आईआईटी रुड़की का स्थापना दिवस 25 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1847 में, रुड़की में ‘सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज’ के प्रोस्पेक्टस को पश्चिमोत्तर प्रांत के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर जेम्स थॉमसन के अनुमोदन से अधिसूचित किया गया था। यही वह दिन था जिस दिन वर्ष 1948 में रुड़की विश्वविद्यालय बना।

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