शासन का बड़ा निर्देश—सरकारी सेवकों के स्थायीकरण में 2002 नियमावली का पालन अनिवार्य

शासन ने सभी विभागों को राज्य के सरकारी सेवकों के स्थायीकरण के मामलों में स्थायीकरण नियमावली, 2002 का समुचित अनुपालन सुनिश्चित करते हुए पात्र कार्मिकों के स्थायीकरण आदेश बिना किसी विलंब के निर्गत किए जाने के निर्देश दिए हैं।

इस संबंध में सचिव कार्मिक श्री शैलेश बगोली ने एक शासनादेश जारी करते हुए सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों, विभागाध्यक्षों, कार्यालय प्रमुखों, मंडलायुक्तों एवं जिलाधिकारियों को निर्देशित किया है कि वह अपने नियंत्रणाधीन विभागों में कार्यरत ऐसे समस्त कार्मिक, जो परिवीक्षा पूर्ण कर चुके हैं तथा जिनकी परिवीक्षा बढ़ाई न गयी हो, जो स्थायीकरण नियमावली, 2002 में वर्णित सभी आवश्यक अर्हताएं पूर्ण कर चुके हैं, के स्थायीकरण आदेश परिवीक्षा अवधि पूर्ण करने के उपरान्त, अनावश्यक विलम्ब के बिना, समयबद्ध रूप से निर्गत कराना सुनिश्चित करें।

शासनादेश में यह भी हिदायत दी गई है कि जिन कार्मिकों को पूर्व में विभागीय पदोन्नति प्रदान की जा चुकी है, किन्तु उनके स्थायीकरण के संबंध में कोई स्पष्ट आदेश निर्गत नहीं किया गया है, उनके प्रकरणों की तत्काल समीक्षा करते हुए नियमानुसार स्थायीकरण आदेश निर्गत किए जांय।

सचिव कार्मिक  शैलेश बगोली ने कहा है कि सेवाकाल की निर्धारित परिवीक्षा अवधि पूर्ण करने एवं विभागीय संवर्ग में उच्च पदों पर पदोन्नति प्राप्त कर लेने के उपरांत भी, विभिन्न विभागों द्वारा कार्मिकों के स्थायीकरण के संबंध में विधिवत आदेश निर्गत नहीं किए जाने के तथ्य शासन के संज्ञान में आए हैं। विधिवत स्थायीकरण आदेश जारी न होने के कारण संबंधित कार्मिकों के सेवा-संयोजन, वेतन संरक्षण, पेंशन-हितलाभ आदि में कठिनाई उत्पन्न हो रही है तथा विधिक वाद-विवाद की स्थिति निर्मित हो रही है। यह विधिसम्मत तथा अनुशासित लोक प्रशासन की भावना के विपरीत है। जिसे देखते हुए राज्य के सरकारी सेवकों की स्थायीकरण नियमावली, 2002 का समुचित अनुपालन कराए जाने तथा समय से स्थायीकरण आदेश जारी कराए जाने पर विशेष ध्यान दिया जाना जरूरी है।

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