सरकार द्वारा निष्प्रयोज्य घोषित हो जाने अर्थात रिटायर हो जाने के बाद तमाम सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों के समक्ष समय काटना एक विकट समस्या बन जाती है। इस स्थति का सामना करने के लिये लोगों ने तरह-तरह के उपाय और तरीक़ों को ईजाद किया है।
कुछ कर्मठ ब्रान्ड के लोग तुरंत रामू काका के रोल में आ जाते हैं और सबेरे से उठ कर कंधे में तौलिया लटका कर घर की साफ़ सफ़ाई और किचेन के ज़रूरी कामों को निबटाने में जुट जाते हैं। बचे हुये दिन के समय में यह पत्नियों के लिये ड्राइवर की सेवायें मुहैया कराते हैं और बाज़ार में ख़रीदारी और सिनेमा आदि दिखाने का कार्य बख़ूबी निबटाते हैं। ऐसे लोगों की पत्नियों ने पूर्व जन्म में अवश्य ही कुछ अच्छे कार्य किये होंगे जिसके परिणाम स्वरूप उन्हें यह सुखद स्थति प्राप्त हुई है।
तमाम लोग ऐसे भी हैं जो रिटायर होने के बाद एकाएक अत्यधिक धार्मिक हो जाते हैं और सुबह शाम दो दो घंटे विभिन्न मंदिरों में पूजा पाठ और भजन कीर्तन में अपना टाइम बिता लेते हैं। ऐसे लोग इस मनोभाव से ग्रस्त होते हैं कि उनके द्वारा किये गये सारे दुष्कर्म अब ख़ारिज हो रहे हैं।
एक अन्य केटेगरी ऐसे रिटायर लोगों की भी है जिनके अंदर रिटायर होने के बाद अचानक वाल्मीकि और तुलसी की आत्मा प्रवेश कर जाती है और वह रातों रात कवि बन जाते हैं। ।
कुछ ऐसे भी महानुभाव देखे गये हैं जिनके भीतर राजनीति का कीड़ा सदैव कुलबुलाता रहता हैं और सेवाकाल के दौरान उन्हें यह भ्रान्ति हो जाती है कि वह जनता में बहुत पापुलर हैं और रिटायर होते ही वह जोड़ तोड़ कर किसी पार्टी में पहुँच जाते हैं और चुनाव में कूदते ही धड़ाम से चित्त हो जाते हैं।
फिर यह किसी पार्टी आफिस के बाहर लाई चना खाते हुये अक्सर दिख जाते हैं।
रिटायर बुजुर्गों का एक बडा़ वर्ग उन लोगों का भी है जो परिवार में कदाचित पूर्णतया अवांछित होते हैं और इसी कारण यह घर से बाहर निकलने का एक नायाब तरीक़ा ढूँढ लेते हैं। प्रात:दस बजते ही यह ख़ुद और परिवार की बैंक पासबुकों को इकट्ठा कर किसी न किसी बैंक में घुस जाते हैं और पासबुक की प्रविष्टियाँ कराने में ही दिन का डेढ़ बजा देते हैं और बैंक के वातानुकूलित माहौल का आनंद लेते रहते हैं। और बैंक कर्मियों का जीना मुहाल कर देते हैं।
रिटायरी लोगों की पंसदीदा जगह पड़ोस के पार्क भी होते हैं जहां यह सुबह शाम सैर के बहाने जुटान करते हैं और सरकार को गरियाने का अपना प्रिय कार्य सम्पन्न करते रहते हैं,लम्बी लम्बी हाँक लगाते हैं,
बहुत सारे हमारे रिटायर्ड भाईयों को यह सब काम बिल्कुल रास नहीं आते और वह घर में ही अपना ज़्यादातर समय बिताना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों के लिये उनके बेटे बहुओं ने बड़ा उम्दा पासटाईम तलाश रखा हैं। वह इन्हें अपने छोटे बच्चे सौंप कर बेफिक्र आफिस,बाज़ार और सिनेमाघर निकल जाते हैं और भाई जी तत्काल बाबापोज और नानापोज में आ जाते हैं और बच्चों के लिये अत्यन्त उपयोगी और बहुमूल्य साबित होते है।जिनके बेटे बेटियाँ कहीं विदेश में हैं वहाँ जाकर भी यह लोग बेहतरीन बेबी केयर की सेवायें महीनों तक उपलब्ध कराते हुये कृतार्थ होते हैं। रिटायर्ड लोगों के समय बिताने के अन्य तमाम तरीक़े भी हो सकते हैं जिन पर मित्रगण अनुभवजन्य जानकारी दे कर ज़रूरत मंदों को लाभ पहुँचा सकते हैं। मुझे आशा है कि आप इस विवरण में खुद को तलाश रहे होंगे….
आप सभी आनंदित रहें और आपका दिन मंगलमय हो।
फ्यूज बल्ब एसोसिएशन