देहरादून :
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति में हुए फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। SIT की कमान आईजी डॉ. निलेश आनंद भरणे को सौंपी गई है। उनके नेतृत्व में हुई पहली बैठक में संबंधित विभागों के अधिकारियों के साथ-साथ उन जिलों के प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल रहे, जिनके विद्यालय संदिग्ध पाए गए हैं।
बैठक में पांच जिलों के अधिकारियों को तीन दिन में विस्तृत रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने साफ किया कि जांच पूरी होने के बाद ही आगे की कार्रवाई तय होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
17 संस्थाएं संदेह के घेरे में
- केंद्र सरकार से प्राप्त जानकारी के आधार पर कुल 92 शिक्षण संस्थाओं की भूमिका पर सवाल उठे हैं। इनमें से 17 संस्थाओं में गंभीर गड़बड़ियां सामने आई हैं।
- उधम सिंह नगर जिले के किच्छा क्षेत्र में सरस्वती शिशु मंदिर हाई स्कूल का नाम दर्ज मिला, लेकिन जांच में वहां ऐसा कोई विद्यालय अस्तित्व में नहीं पाया गया।
- रुद्रप्रयाग के वासुकेदार संस्कृत महाविद्यालय के नाम पर बंगाल के छात्रों के दस्तावेज अपलोड किए गए।
- नैनीताल जिले के नवीन शिशु जूनियर हाई स्कूल और प्रतिभा विकास जूनियर हाई स्कूल पर भी संदेह जताया गया है।
- हरिद्वार जिले के रुड़की स्थित संस्कृति पब्लिक स्कूल के 85 छात्रों के नाम भी सवालों के घेरे में हैं।
उधम सिंह नगर में सबसे बड़ा खुलासा
प्रारंभिक जांच में उधम सिंह नगर के 796 बच्चों में से 456 छात्रवृत्ति लाभार्थी फर्जी पाए गए। इससे घोटाले के पैमाने का अंदाजा लगाया जा सकता है।
FIR और आगे की कार्रवाई
केंद्र सरकार ने राज्य को सात बिंदुओं पर जांच करने और फर्जीवाड़े की पहचान कर एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में नैनीताल जिले में 13 जून को दो एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। अब SIT पूरे प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी, जिसके बाद आगे की कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित होगी।