शीतकाल के लिए बद्रीनाथ के कपाट बंद होना हुए शुरू

उत्तराखंड : शीतकाल के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होना शुरू हो गए हैं | कपाट बंद होने की प्रक्रिया गणेश पूजन के साथ शुरू हो गई है | गणेश जी के कपाट आज रविवार को पूजा-अर्चना के बाद बंद हो गए, जिसके साथ ही धाम में पांच पूजाओं की शुरुआत हो गई है | बद्रीनाथ धाम के कपाट 19 नवंबर को बंद किए जाएंगे | वहीं आज गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए हैं | गणेश जी के कपाट बंद होने के साथ बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हो गई है | 16 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद होंगे | 17 नवंबर को खड़ग पुस्तक की पूजा के साथ वेद ऋचाओं का वाचन बंद किया जाएगा | 18 नवंबर को महालक्ष्मी पूजा होगा | 19 नवंबर को धार्मिक रस्मों के साथ शाम 3:35 बजे पर भगवान बद्री विशाल के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे |
वहीं, आज रविवार को गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ बंद कर दिए गए है | मां गंगा की डोली मुखबा गांव के लिए रवाना हो गई है | मां गंगा का स्वागत मुखबा गांव के लोग बेटी की तरह करते हैं | गांव के सेमवाल पुरोहित गंगोत्री धाम की तरह ही मां गंगा की विधिवत पूजा-अर्चना करते हैं |
गंगोत्री मंदिर धाम समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि मां गंगा के कपाट दोपहर 12:15 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं | मां गंगा की डोली भोगमूर्ति के साथ अपने शीतकालीन प्रवास मुखबा गांव के साथ रवाना हुई | मां गंगा के गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर श्रद्धालुओं की भीड़ में कमी देखने को मिली | वहीं, मां गंगा की डोली पैदल जांगला मार्ग से शाम को मुखबा गांव से 3 किमी पहले मार्कण्डेय मंदिर में रात्रि विश्राम करेगी | जहां पर स्थानीय लोग और यात्री रात भर मां गंगा के साथ अन्य देवी-देवताओं का भजन कीर्तन करते हैं |

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