हल्द्वानी में लंबे समय से डायग्नोस्टिक सेंटरों की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवालों के बीच प्रशासन की औचक जांच ने बड़ी अनियमितताओं का भंडाफोड़ कर दिया। जिलाधिकारी और मुख्य चिकित्सा अधिकारी के निर्देश पर पीसीपीएनडीटी अधिनियम के तहत हीरानगर स्थित सत्यम डायग्नोस्टिक सेंटर सहित 02 केंद्रों का निरीक्षण किया गया।
शुक्रवार की जांच में सबसे बड़ा खुलासा यह रहा कि रेडियोलॉजिस्ट की गैर-मौजूदगी में 26 मरीजों के अल्ट्रासाउंड किए गए, जो सीधे पीसीपीएनडीटी कानून का गंभीर उल्लंघन है। निरीक्षण टीम को एएनसी रजिस्टर और फॉर्म पर रेडियोलॉजिस्ट के हस्ताक्षर नहीं मिले, जिससे रिकॉर्ड से छेड़छाड़ की भी आशंका जताई जा रही है।
अधिकारियों ने मौके पर आवश्यक दस्तावेज जब्त करते हुए कार्रवाई की रिपोर्ट डीएम को सौंपी है। नियमों के अनुरूप सेंटर पर एफआईआर, लाइसेंस निलंबन एवं सीलिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा रही है।

पुराना विवाद भी आया फिर चर्चा में , MRI रिपोर्ट बदलने का मामला
सत्यम डायग्नोस्टिक सेंटर पहली बार विवादों में नहीं आया है।
पिछले वर्ष एक गंभीर लापरवाही सामने आई थी, जब Brain MRI कराने वाले मरीज को Pelvis MRI की रिपोर्ट दे दी गई।
जब परिजनों ने सवाल उठाए, तो थोड़ी देर बाद Brain MRI की रिपोर्ट थमा दी गई।
तब प्रबंधन ने तर्क दिया था कि एक ही नाम के दो मरीज थे, गलती से रिपोर्ट बदल गई, लेकिन परिजन जब यह पूछते रहे कि अगर मरीज अलग-अलग थे, तो दोनों रिपोर्ट्स की Patient ID एक जैसी कैसे? तो प्रबंधन कोई जवाब नहीं दे पाया। उस समय भी सेंटर की कार्यप्रणाली पर बड़े सवाल खड़े हुए थे।
शिकायतें लगातार, पर कार्रवाई कम, ढीले रवैये से बढ़ी मनमानी
हल्द्वानी के कई डायग्नोस्टिक सेंटरों के खिलाफगलत रिपोर्ट देने, लापरवाही, और भ्रूण लिंग जांच की आशंका जैसे आरोप
लंबे समय से लगाए जाते रहे हैं। लेकिन आरोप है कि सिस्टम की धीमी कार्रवाई ने इन सेंटरों को बेखौफ बना रखा था। शुक्रवार की इस सख्त जांच ने एक बार फिर इस प्रश्न को केंद्र में ला दिया है कि आखिर कब तक मरीजों की जिंदगी पर खतरा बनकर काम करेंगे ऐसे सेंटर? …और कब तक प्रशासन इन्हें नियमों की आड़ में खुली छूट देता रहेगा?
अब अगला कदम क्या?
अधिकारियों ने संकेत दिया है कि दस्तावेजी जांच पूरी होने के बाद जिम्मेदारों पर पुलिस कार्रवाई, लाइसेंस निलंबन, और सेंटरों की सीलिंग जैसी कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने भी साफ किया है कि फर्जी रिपोर्ट, रिकॉर्ड हेराफेरी और रेडियोलॉजिस्ट के बिना अल्ट्रासाउंड जैसे मामलों में बिल्कुल शून्य सहनशीलता बरती जाएगी।







