देहरादून
जिला प्रशासन देहरादून ने त्वरित कार्रवाई कर एक असहाय विधवा को बड़ी राहत दिलाई है। दिवंगत पति के नाम पर लिए गए 17 लाख रुपये के बीमित ऋण को लेकर ICICI बैंक की ओर से लगातार प्रताड़ना झेल रही शोभा रावत को आखिरकार न्याय मिला। जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद बैंक ने न केवल ऋण माफ किया बल्कि महिला को घर जाकर नो ड्यूज प्रमाणपत्र सौंपते हुए सम्पत्ति के कागजात भी लौटा दिए।
विधवा शोभा की व्यथा, प्रशासन ने सुनी
शोभा रावत के पति मनोज रावत का निधन 30 अक्टूबर 2024 को हो गया था। पति के निधन के बाद गृहणी शोभा पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। एक ओर पढ़ाई कर रही बेटी का भविष्य संवारने की चिंता थी, तो दूसरी ओर 24 वर्षीय बेटा 100 प्रतिशत दिव्यांग है, जो बोलने-चलने में भी असमर्थ है। इस कठिन परिस्थिति में बैंक का ऋण शोभा के जीवन पर पहाड़ बनकर टूटा।
पति की ओर से लिए गए 17 लाख रुपये के लोन में बीमा कवरेज शामिल था, जिसमें से 13.20 लाख रुपये की धनराशि तो बीमा से समायोजित हो गई, लेकिन करीब 5 लाख रुपये शेष रह गए। इसी शेष राशि को लेकर बैंक की ओर से विधवा शोभा और उसके बच्चों पर लगातार दबाव और वसूली की कार्रवाई की जा रही थी।
DM के हस्तक्षेप से मिली राहत
गत सप्ताह शोभा रावत अपने परिवार के साथ जिलाधिकारी सविन बंसल से मिली और अपनी व्यथा सुनाई। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उप जिलाधिकारी न्याय कुमकुम जोशी को तत्काल प्रभाव से कार्रवाई के निर्देश दिए। पिछले 10 दिनों से एसडीएम लगातार मामले का फॉलोअप कर रही थीं।
डीएम ने बैंक को सख्त निर्देश दिए थे कि यदि सोमवार तक नो ड्यूज जारी नहीं किया गया तो बैंक शाखा की सम्पत्ति कुर्क कर नीलामी की जाएगी। प्रशासन की इस सख्ती का नतीजा यह हुआ कि ICICI बैंक को घुटने टेकने पड़े और सोमवार को बैंक अधिकारियों ने घर जाकर शोभा रावत को नो ड्यूज जारी कर सम्पत्ति के कागजात वापस सौंप दिए।
न्याय पर बढ़ा जनता का विश्वास
जिला प्रशासन के इस त्वरित और कठोर एक्शन से न केवल शोभा रावत को नया जीवन मिला बल्कि प्रशासन के प्रति जनता का विश्वास भी और अधिक मजबूत हुआ है। जिलाधिकारी कार्यालय में लगातार शिक्षा, रोजगार, ऋणमाफी और सम्पत्ति वापसी जैसे मामलों में त्वरित निर्णय लिए जा रहे हैं। असहाय और व्यथितों को राहत दिलाने की यह पहल प्रशासन की न्यायप्रिय और संवेदनशील छवि को और सुदृढ़ कर रही है।
असहाय विधवा की जिंदगी में लौटी रोशनी
शोभा रावत जैसी असहाय विधवा, जिसके सिर पर परिवार की जिम्मेदारी, बेटी की पढ़ाई और दिव्यांग बेटे की परवरिश का बोझ है, के लिए यह राहत किसी संजीवनी से कम नहीं है। अब बैंक ऋण का बोझ हटने के बाद उसके जीवन में एक नई रोशनी आई है और वह अपने बच्चों के भविष्य को लेकर निश्चिंत हो पाई है।